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महाकुंभ का लौकिक एवं वैज्ञानिक सार

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  महाकुंभ का लौकिक एवं वैज्ञानिक सार महाकुंभ भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करने का सबसे बड़ा माध्यम है, इसके जरिए देश-विदेश के लोग हमारी परंपराओं, रीति-रिवाजों और कलाओं से जुड़ते हैं।   महाकुंभ भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करने का सबसे बड़ा माध्यम है, इसके जरिए देश-विदेश के लोग हमारी परंपराओं, रीति-रिवाजों और कलाओं से जुड़ते हैं। भारत में इसका आयोजन 12 साल के अंतराल में किया जाता है। यह चार प्रमुख स्थानों पर होता है जिनमें हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक का नाम शामिल है। इन सभी स्थानों में प्रयागराज के संगम में होने वाले महाकुंभ का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में इस स्थान को तीर्थराज कहा गया है, यहां गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। मान्यता है कि जब भी कभी प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होता है, तो लाखों की संख्या में लोग स्नना करने आते हैं। इससे साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। महाकुंभ का लौकिक एवं वैज्ञानिक सार महाकुंभ मेला भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अद्वितीय पर्व है, जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि वै...