विचार
विचार
विचार हूँ, मौन हूँ, शांत स्वर में रहता हूँ,
वेग में प्रखर हु फिर भी गहरा कहता हूँ
सुन ले मेरे मौन को मन से भी वेग हूँ
हर घडी हर समय मन में तेरे रहता रहता हु
विचार हूँ,...
मेरे ही प्रलय से क्षितिज भी हिला सको
मेरे ही शांति से युद्ध भी थमा सको
मेरे ही ध्यान से दुनिया को पा सको
विचार करके देखलो विचार शून्य में ही हूँ
विचार हूँ,...
एक विचार जो सही और गलत कहता है
तू कर या न कर सबकुछ मेरे हाथ है
फैसला भी तू ही कर जोश के साथ में
क्या सही क्या गलत कहता है तू बाद में
विचार हूँ,....
मेरी भाषा व् दुनिया की परिभाषा से एक हु
हर किसी के मन में अलग सा आलेख हूँ
विलेख करके देख ले तू पर शब्द का प्रयास हूँ
एक नई झुंज का छोटा सा विच्छेद हूँ
विचार हूँ,.…
मुज़से तू पूछ ले भेद कैसे देख लू
में हु,तो तू भी है, अन्यथा ये शून्य है
जो शुन्य हुआ विचार से देख लेगा मुझको तू
फिर भी कहता है सदा विचार हूँ, मौन हूँ
विचार हूँ
डॉ कविता दिवे

Bahut badhiya lekin bhasha ko thoda klishtha na karte hue saral shabad jo janmanas ke man mastishk ko chirkar ek maun vichar utpann kare wahi sachha sampadan hai yah mera vyaktigat mat hai....alok
ReplyDeleteBohat hi badhiya likha hai!👏🏻👏🏻👏🏻
ReplyDeleteBahut khubsurat vichar hy
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