पूर्णता की प्रतीक्षा न करे, कार्य शुरू करे
जब हमारे पास कुछ लक्ष्य होते हैं, तो हम इसे उत्साह के साथ शुरू करना चाहते हैं। हम रातोंरात सफल बनना चाहते हैं। हम जल्द से जल्द सर्वश्रेष्ठ हासिल करना चाहते हैं। लेकिन चीजों में समय लगता है। यह समय के साथ बेहतर होता जाता है, लेकिन कार्य जल्द से जल्द शुरू करना है।
क्या होता है कि हमारे पास एक विचार होता है, जो हमें लगता है कि हमारे या किसी के जीवन को तुरंत बदल सकता है। लेकिन हम उस पर तब तक काम नहीं करते जब तक हमारे पास अनुकूल परिस्थितियां न हों। हम अधिक समय और अधिक संसाधनों की प्रतीक्षा करते हैं। और, उसे शुरू नहीं कर पाते और वही कोई और एक दिनउस विचार पर काम करता है, और सफल होता है जैसे एक उत्पाद बनाया और हमें खेद है।
फिर हमें लगता है "ओह, मेरा भी यही विचार था, लेकिन शुरू नहीं हो सका।
पूर्णता हमारा सबसे बड़ा दुश्मन कैसे बन जाता है।
जब भी हम कोई काम शुरू करना चाहते है तो हम पहले ही बहुत कुछ सोचने लगते है की में ये काम ऐसे करूँगा इसपर मुझे ऐसे कार्य करना चाहिए परन्तु हम कार्य के बारे में सोच कर अपना समय बर्बाद करते है, और कार्य आरम्भ नहीं कर पाते,
इसीलिए पूर्णता से कार्य तो आप तब करेंगे जब आप काम को शुरू करे न की समय को बर्बाद क्योकि समय को बर्बाद करके हम कुछ भी पूर्ण नहीं कर पते, और कभी ये भी हो सकता है की उस कार्य को करने की हमारी रूचि भी बदल जाये तो फिर कहा गया हमारा परफेक्शन
परफेक्ट/ पूर्ण होने का विचार क्यों आता है
पूर्णता की तलाश करें। यह ठीक है। जितना हो सके चीजों को अच्छा करने की कोशिश करें। वह सब ठीक है। लेकिन इसे करना बंद न करें क्योंकि आप इसे पूरी तरह से नहीं कर सकते। एक कदम उठाएं और सीखते रहें। इसे करते-करते आप ठीक हो जाएंगे।
"पूर्णता के बजाय निरंतर सुधार के लिए प्रयास करें।" ~ किम कॉलिन्स
पूर्णता? यह सबके मन में है। एक बार जब मैं अपनी वर्तमान नौकरी बदल दूंगा, तो मैं अपने सपने का पीछा करूंगा। एक बार जब मैं इतना कमा लूंगा, तो मैं अपना व्यवसाय शुरू करूंगा। एक बार मेरे पास और समय हो जाएगा, तो मैं जिम जाना शुरू कर दूंगा। एक बार जब मेरे पास कम जिम्मेदारियां होंगी, तो मैं अपने जीवन का आनंद लेना शुरू कर दूंगा। क्यों हम किसी चीजों में अटके रहते है जो है उसे क्यों आंनद से नहीं करते, ये तलाश है जो कभी ख़त्म नहीं होती इसीलिए करते जाये सकते जाये और जितना हो सके जीवन में आनंद से काम करे मज़बूरी में नही।
"पूर्णता प्राप्य नहीं है, लेकिन अगर हम पूर्णता का पीछा करते हैं तो हम उत्कृष्टता को पकड़ सकते हैं।" ~ विंस लोम्बार्डी
जो हो गया वो ठीक है और बेहतर करने का प्रयास आवश्य करेंगे
यदि इसी सिख के साथ काम करे तो एक दिन पूर्ण होना निश्चित है परन्तु उस पूर्ण होने के लिए निरंतर प्रयास करते रहे एक दिन आप परफेक्ट होंगे स्वीकार करना ही बुद्धिमानी है यदि आप ने कुछ काम किया और यदि आपको ऐसा लगता है की ये और बेहतर हो सकता है तो प्रयास करे आगे बढे और स्वीकार करे सब ठीक होगा।
"यदि आप पूर्णता की तलाश करते हैं, तो आप कभी संतुष्ट नहीं होंगे।" ~लियो टॉल्स्टॉय
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