हनुमान चालीसा से सीखें
हनुमान चालीसा से सीखें
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनौं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
Meaning: 1पवित्र गुरु के चरण-कमलों के पराग से अपने मन के दर्पण को स्वच्छ करके।
2. मैं रघुवर की शुद्ध कीर्ति का वर्णन करता हूँ, जो जीवन के चारों फलों को प्रदान करने वाली है।
Lesson : 1. विनम्रता और स्पष्ट मानसिकता के साथ शुरुआत करें।
Lesson 2: अपने प्रसाद की शुद्धता और उत्कृष्टता पर प्रकाश डालें।
मैं रघुवर की शुद्ध कीर्ति का वर्णन करता हूँ, जो जीवन के चारों फलों—धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष—को प्रदान करने वाली है। रघुवर, जिन्हें श्रीराम के नाम से भी जाना जाता है, मर्यादा, धर्म, और सत्य के प्रतीक हैं। उनका जीवन और उनके आदर्श प्रत्येक मानव के लिए प्रेरणादायक हैं। वे सदैव सत्य के मार्ग पर चलने वाले, अपने वचन का पालन करने वाले और सभी जीवों के प्रति करुणा रखने वाले थे।
उनकी शुद्ध कीर्ति इतनी प्रभावशाली है कि उनके नाम का स्मरण मात्र से जीवन में पवित्रता, शांति, और समृद्धि आती है। उनके चरित्र में निहित गुण हमें जीवन के कठिनतम परिस्थितियों में भी सही मार्ग पर चलने का बल देते हैं। रघुवर की कीर्ति हमें यह सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी चुनौतियाँ क्यों न आएं, धर्म और सत्य के मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिए।
उनके आदर्श हमें जीवन के चारों फलों की प्राप्ति की दिशा में प्रेरित करते हैं। धर्म से हमें सही जीवन पथ मिलता है, अर्थ से भौतिक सुख-सुविधाएं, काम से जीवन में संतुलन, और मोक्ष से अंततः आत्मा की शांति। रघुवर की शुद्ध कीर्ति का स्मरण कर हम इन सभी फलों की प्राप्ति कर सकते हैं।
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